“सतर्कता : हमारी साझा जिम्मेदारी” — 70वीं वाहिनी सशस्त्र सीमा बल, लखीमपुर खीरी में जागरूकता और ईमानदारी का अद्भुत संगम
(लखीमपुर खीरी, 03 नवम्बर 2025) —
सशस्त्र सीमा बल (SSB) की 70वीं वाहिनी, लखीमपुर खीरी की ‘एफ’ समवाय, रामुपरवा-79 द्वारा 27 अक्टूबर से 2 नवम्बर 2025 तक “सतर्कता : हमारी साझा जिम्मेदारी” (Vigilance: Our Shared Responsibility) विषय के अंतर्गत सतर्कता जागरूकता सप्ताह का आयोजन बड़े ही उत्साह, जनभागीदारी और सामाजिक जिम्मेदारी के साथ किया गया।
इस पूरे सप्ताह के दौरान विभिन्न कार्यक्रमों के माध्यम से समाज में ईमानदारी, पारदर्शिता, उत्तरदायित्व और भ्रष्टाचार के प्रति शून्य सहिष्णुता का संदेश दिया गया। इस अवसर पर बल के अधिकारियों, जवानों, स्थानीय नागरिकों, पंचायत प्रतिनिधियों, विद्यार्थियों और महिला समूहों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, जिससे सीमावर्ती क्षेत्रों में सतर्कता का नया वातावरण देखने को मिला।

ईमानदारी का संकल्प – भ्रष्टाचार के विरुद्ध एकजुट आवाज़
सप्ताह की शुरुआत शपथ समारोह से हुई, जिसमें सभी बलकर्मियों ने एक स्वर में भ्रष्टाचार के विरुद्ध ईमानदारी और निष्ठा से कार्य करने की शपथ ली। यह शपथ केवल एक औपचारिकता नहीं थी, बल्कि यह उस विश्वास की पुनर्पुष्टि थी कि देश की सुरक्षा करने वाले जवान सिर्फ सीमाओं की नहीं, बल्कि नैतिकता की भी रक्षा करते हैं।
जन-जागरूकता की नई पहल — गांवों से निकली ईमानदारी की ज्योति
सप्ताह के दौरान 70वीं वाहिनी के अधिकारियों ने सीमावर्ती ग्राम पंचायतों में कई जन-जागरूकता बैठकें और संवाद सत्र आयोजित किए। इन बैठकों में नागरिकों को सतर्कता, पारदर्शिता और नैतिकता के महत्व से अवगत कराया गया। चौपालों पर आयोजित चर्चाओं में स्थानीय लोगों ने भी अपने विचार साझा किए, जिससे प्रशासन और जनता के बीच भरोसे का नया पुल बना।
विद्यालयों में रचनात्मकता और नैतिकता का संगम
विकास क्षेत्र मिहीपुरवा (जनपद बहराइच) के प्राथमिक विद्यालय आम्बा में विद्यार्थियों के बीच कई आकर्षक प्रतियोगिताएँ जैसे — क्विज़, कार्टून निर्माण, स्लोगन लेखन, रंगोली और पोस्टर पेंटिंग का आयोजन किया गया। इन गतिविधियों का उद्देश्य केवल प्रतियोगिता नहीं, बल्कि बच्चों में ईमानदारी, जिम्मेदारी और नैतिक मूल्यों के बीज बोना था।
रंगों से सजी दीवारों और बच्चों के जोशीले नारों ने यह संदेश दिया — “सच्चाई सबसे बड़ी ताकत है।”
महिला समूहों की भागीदारी — आत्मनिर्भरता और ईमानदारी का संगम
इस सप्ताह के दौरान स्वयं सहायता समूहों (Self Help Groups) की महिलाओं ने भी सक्रिय रूप से भाग लिया। उनके द्वारा निर्मित उत्पादों को स्थानीय मेलों और सभाओं में प्रदर्शित किया गया, जिससे न केवल महिला सशक्तिकरण को बल मिला, बल्कि आत्मनिर्भरता के साथ ईमानदारी के मूल्यों को भी समाज में प्रोत्साहन मिला।
इन समूहों की सफलता की कहानियाँ इस बात का उदाहरण बनीं कि सतर्कता केवल सरकारी दायित्व नहीं, बल्कि हर नागरिक की साझा जिम्मेदारी है।
सतर्कता सप्ताह बना सामुदायिक एकता का प्रतीक
पूरे सप्ताह के कार्यक्रमों में SSB अधिकारियों और जवानों ने जनता के साथ मिलकर एक मजबूत संदेश दिया — “ईमानदारी ही जीवन का आधार है।”
गांव-गांव में आयोजित संवाद सत्रों और चौपालों में लोगों ने भ्रष्टाचार के खिलाफ एकजुटता दिखाई। यह केवल एक सप्ताह नहीं था, बल्कि एक सामाजिक आंदोलन था जिसने सीमावर्ती क्षेत्र में पारदर्शिता और सद्भाव का नया अध्याय लिखा।
निष्कर्ष — जब समाज और सुरक्षा बल एक साथ आएं, तो बदलाव अवश्य आता है
सतर्कता जागरूकता सप्ताह के अंत में स्थानीय नागरिकों, विद्यार्थियों, महिला समूहों और पंचायत प्रतिनिधियों ने संयुक्त रूप से यह संकल्प लिया कि वे अपने-अपने क्षेत्र में नैतिकता, पारदर्शिता और जिम्मेदारी को प्राथमिकता देंगे।
सशस्त्र सीमा बल की इस पहल ने न केवल सीमावर्ती इलाकों में जागरूकता की लहर पैदा की, बल्कि यह साबित कर दिया कि जब सुरक्षा बल और समाज एक साथ कदम बढ़ाते हैं, तो देश के हर कोने में ईमानदारी की मशाल जल उठती है।
📜 संक्षेप में कहा जाए तो —
70वीं वाहिनी, सशस्त्र सीमा बल, लखीमपुर खीरी ने इस वर्ष सतर्कता सप्ताह को सिर्फ एक औपचारिक आयोजन नहीं, बल्कि एक जनआंदोलन में बदल दिया।
“सतर्कता : हमारी साझा जिम्मेदारी” केवल एक थीम नहीं, बल्कि एक विचारधारा बन गई —
जो हर नागरिक को यह याद दिलाती है कि ईमानदारी से बढ़कर कोई देशभक्ति नहीं होती।

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