डीएम दुर्गा शक्ति नागपाल की सख्ती: गोला कॉरिडोर निर्माण में देरी पर ठेकेदारों पर 5 करोड़ से अधिक जुर्माने की तैयारी
लखीमपुर-खीरी से इस वक्त की बड़ी प्रशासनिक खबर सामने आ रही है, जहां गोला गोकर्णनाथ स्थित ऐतिहासिक शिव मंदिर के पर्यटन विकास से जुड़े कॉरिडोर निर्माण कार्य में भारी लापरवाही उजागर हुई है। जिलाधिकारी दुर्गा शक्ति नागपाल ने निर्माण कार्य की धीमी प्रगति को गंभीरता से लेते हुए कड़ा रुख अपनाया है। डीएम द्वारा गठित चार सदस्यीय जांच समिति की रिपोर्ट ने ठेकेदारों और कार्यदायी संस्था की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

डीएम के निर्देश पर एडीएम नरेंद्र बहादुर सिंह की अध्यक्षता में गठित समिति ने स्थलीय निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान यह पाया गया कि निर्माण स्थल पर न तो पर्याप्त श्रमिक मौजूद थे और न ही कार्य की गति अनुबंध के अनुरूप थी। समिति ने स्पष्ट किया कि मौके पर कार्य अत्यंत धीमी रफ्तार से चल रहा है, जिससे तय समय सीमा में कार्य पूर्ण होना असंभव प्रतीत होता है।
समिति ने निर्माण कार्य के लिए उपलब्ध कराए गए बार-चार्ट और वर्क प्रोग्राम का गहन विश्लेषण किया। जांच में सामने आया कि अनुबंध के अनुसार कॉरिडोर निर्माण की अंतिम तिथि 15 मार्च 2026 निर्धारित है, जबकि ठेकेदारों द्वारा प्रस्तुत कार्य योजना में इसे अगस्त 2026 तक पूरा करने का प्रस्ताव दिया गया है। यह स्थिति सीधे-सीधे अनुबंध की शर्तों का उल्लंघन मानी जा रही है।
सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि श्रावण मास के दौरान गोला गोकर्णनाथ शिव मंदिर में लाखों की संख्या में श्रद्धालु और कांवड़िए पहुंचते हैं। यदि इस दौरान कॉरिडोर निर्माण अधूरा रहता है तो न केवल श्रद्धालुओं को भारी असुविधा होगी, बल्कि शांति एवं कानून-व्यवस्था की गंभीर समस्या भी उत्पन्न हो सकती है।
इन्हीं सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट जिलाधिकारी को सौंप दी है। रिपोर्ट में संबंधित ठेकेदारों के विरुद्ध अनुबंध की शर्तों के अंतर्गत लिक्विडेटेड डैमेज लगाए जाने की सिफारिश की गई है। प्रशासन ने इस सिफारिश पर तेजी से कार्रवाई शुरू कर दी है।
सूत्रों के अनुसार अनुबंध संख्या 109 में मेसर्स रीना सिंह पर लगभग 1.81 करोड़ रुपये, अनुबंध संख्या 110 में मेसर्स नारायन एसोसिएट्स पर 1.73 करोड़ रुपये तथा अनुबंध संख्या 111 में भी मेसर्स नारायन एसोसिएट्स पर 1.71 करोड़ रुपये का जुर्माना प्रस्तावित है। कुल मिलाकर यह राशि 5 करोड़ रुपये से अधिक बैठती है।

डीएम दुर्गा शक्ति नागपाल ने इस पूरे मामले में कार्यदायी संस्था यूपी-पीसीएल के प्रोजेक्ट मैनेजर से स्पष्टीकरण तलब किया है। प्रशासनिक सूत्रों का कहना है कि यदि जवाब संतोषजनक नहीं पाया गया तो और भी सख्त कार्रवाई की जा सकती है।
इस जांच समिति में एडीएम नरेंद्र बहादुर सिंह, अधिशासी अभियंता लोक निर्माण विभाग प्रांतीय खंड, अधिशासी अभियंता विद्युत वितरण खंड गोला और उप जिलाधिकारी गोला शामिल रहे। समिति की रिपोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब लापरवाही को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
प्रशासन का साफ संदेश है—सरकारी योजनाओं में देरी और लापरवाही पर अब सीधे आर्थिक दंड और अनुबंधीय कार्रवाई होगी। गोला कॉरिडोर परियोजना सिर्फ एक निर्माण कार्य नहीं, बल्कि आस्था, पर्यटन और कानून-व्यवस्था से जुड़ा अहम प्रोजेक्ट है। ऐसे में डीएम की यह सख्ती आने वाले समय में एक मिसाल बन सकती है।

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