जिले का नाम रोशन: तीसरी की छात्रा यशस्वी देशमुख ने तबला वादन में मारी बाजी
बैतूल। रिपोर्टिंग : देविनाथ लोखंडे
प्रतिभा किसी उम्र की मोहताज नहीं होती। यदि लगन और परिश्रम के साथ शिक्षा प्राप्त की जाए तो छोटी उम्र में भी बड़ी उपलब्धियां हासिल की जा सकती हैं। इसका जीता-जागता उदाहरण प्रस्तुत किया है पीएम श्री केंद्रीय विद्यालय बैतूल की कक्षा तीसरी की छात्रा यशस्वी देशमुख ने।
हाल ही में सेंट्रल रेलवे, नागपुर (महाराष्ट्र) की ओर से आयोजित टैलेंट हंट प्रतियोगिता में यशस्वी ने एकल तबला वादन में पहला स्थान प्राप्त कर न केवल अपने विद्यालय, बल्कि पूरे जिले का नाम रोशन किया है।
निर्णायक भी हुए प्रभावित
प्रतियोगिता में जब यशस्वी ने तबले पर अपनी प्रस्तुति दी तो उनकी लयबद्धता और प्रस्तुति की शुद्धता ने निर्णायकों को भी दंग कर दिया। निर्णायकों ने माना कि इतनी छोटी उम्र में इस स्तर का तबला वादन असाधारण है। इसी वजह से यशस्वी को प्रतियोगिता का प्रथम पुरस्कार प्रदान किया गया।
गुरु से मिली दिशा
यशस्वी देशमुख पिछले तीन वर्षों से आकाशवाणी के ए-ग्रेड तबला वादक और प्रसिद्ध संगीत शिक्षक उदय प्रताप सिंह से विधिवत तबला सीख रही हैं। नियमित साधना और गुरुजन के मार्गदर्शन ने ही उन्हें इस मुकाम तक पहुँचाया है। प्रतियोगिता में मिली सफलता ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि सही गुरु और सही दिशा में किया गया परिश्रम कभी व्यर्थ नहीं जाता।
बहन ने भी दिखाया हुनर
यशस्वी की बड़ी बहन लवी देशमुख ने भी इसी प्रतियोगिता में शास्त्रीय गायन की प्रस्तुति दी। उनकी गायकी ने दर्शकों का दिल जीत लिया और खूब तालियां बटोरीं। दोनों बहनों की प्रतिभा ने कार्यक्रम में चार चाँद लगा दिए।
विद्यालय में हर्ष का माहौल
केंद्रीय विद्यालय के प्राचार्य आर. एन. पांडेय ने यशस्वी और लवी दोनों को इस सफलता पर बधाई दी और कहा कि विद्यालय की छात्राएँ निश्चित रूप से आने वाले समय में जिले और राज्य स्तर पर नई ऊँचाइयाँ छुएंगी। विद्यालय के शिक्षकों और स्टाफ ने भी दोनों बहनों की उपलब्धियों की सराहना की।
जिले में गूंजा नाम
जैसे ही प्रतियोगिता में यशस्वी के प्रथम आने की खबर जिले में पहुँची, वैसे ही बैतूल और आमला सहित आसपास के क्षेत्रों में खुशी की लहर दौड़ गई। लोगों ने कहा कि इस छोटी उम्र में इतनी बड़ी सफलता हासिल करना गर्व की बात है। यशस्वी ने जिले की सांस्कृतिक पहचान को और मजबूत किया है।
परिवार की खुशी
देशमुख परिवार के लिए यह पल गर्व और खुशी से भरा रहा। परिवार का कहना है कि बेटियाँ आज हर क्षेत्र में अपनी पहचान बना रही हैं और यशस्वी व लवी ने अपनी मेहनत से साबित कर दिया है कि अवसर मिलने पर ग्रामीण और छोटे शहरों के बच्चे भी राष्ट्रीय स्तर पर चमक सकते हैं।
बच्चों के लिए प्रेरणा
यशस्वी की उपलब्धि अन्य बच्चों के लिए भी प्रेरणा है। यह सफलता बताती है कि अगर बच्चे अपनी रुचि के अनुसार कला, संगीत या खेल में मेहनत करें तो वे किसी भी बड़े मंच पर अपनी छाप छोड़ सकते हैं।
सेंट्रल रेलवे नागपुर की प्रतियोगिता में मिली इस जीत ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि बैतूल जिले की धरती प्रतिभाओं से भरी है। कक्षा तीसरी की छात्रा यशस्वी देशमुख का यह प्रदर्शन आने वाली पीढ़ी के लिए मार्गदर्शक बनेगा। उनकी सफलता से न केवल परिवार, बल्कि विद्यालय और पूरा बैतूल जिला गौरवान्वित है।

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