प्राइवेट स्कूलों की अंधाधुंध कमाई पर जिला प्रशासन मौन, शिक्षा का बन गया खुला व्यापार
शिक्षा सेवा नहीं, मुनाफे का साधन बन गई; अभिभावक हो रहे आर्थिक शोषण का शिकार
संतोष त्रिपाठी | जिला बांदा
बांदा। जनपद सहित पूरे प्रदेश में निजी स्कूलों द्वारा शिक्षा के नाम पर की जा रही अंधाधुंध कमाई अब गंभीर चिंता का विषय बन गई है। नॉन-प्रॉफिट संस्था के रूप में पंजीकृत ये स्कूल मुनाफाखोरी के सफेदपोश अड्डे बनते जा रहे हैं। इनकी न कोई नियमित ऑडिट होती है, न ही टैक्स देनदारी तय है। वहीं जिला प्रशासन इन गतिविधियों पर चुप्पी साधे बैठा है।
अभिभावकों की जेब पर डाका
अंग्रेजी माध्यम स्कूलों की होड़ ने अभिभावकों की आर्थिक रीढ़ तोड़ दी है। सरकारी स्कूलों की शिक्षा प्रणाली पर गिरते भरोसे के कारण अभिभावक मजबूरी में महंगे निजी स्कूलों की ओर रुख कर रहे हैं, जहां उनसे एडमिशन फीस, बिल्डिंग फंड, स्मार्ट क्लास, कंप्यूटर फीस और ट्रांसपोर्ट जैसी कई मदों में मनमानी वसूली की जाती है।
मिशनरी स्कूलों पर भी सवाल
ईसाई मिशनरी स्कूलों द्वारा अंग्रेजी भाषा की आड़ में की जा रही भारी कमाई ब्रिटिश शासन की ईस्ट इंडिया कंपनी की तर्ज पर शिक्षा के क्षेत्र में आर्थिक लूट का उदाहरण बन गई है। इन स्कूलों में शिक्षा को सेवा नहीं, बल्कि एक सुनियोजित व्यापार बना दिया गया है।
किताबें और यूनिफॉर्म भी मुनाफे का जरिया
अधिकांश स्कूलों ने अपने कैंपस या आसपास 70% तक कमीशन पर किताबें और यूनिफॉर्म बेचने वाली दुकानें खोल रखी हैं। इन दुकानों से खरीदारी के लिए अभिभावकों को मजबूर किया जाता है। कुछ मामलों में किताबों पर 1000% तक का मुनाफा लिया जा रहा है।
शिक्षकों का भी शोषण
शिक्षकों को दिया जा रहा वेतन स्थिति को और भी चिंताजनक बनाता है। स्कूल प्रशासन जहां लाखों की फीस वसूल रहा है, वहीं शिक्षक नाममात्र की तनख्वाह पर काम करने को मजबूर हैं। इससे शिक्षा की गुणवत्ता पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
“एक देश, एक शिक्षा” की मांग
जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) महिला प्रकोष्ठ की प्रदेश अध्यक्ष शालिनी सिंह पटेल ने इस मुद्दे पर केंद्र और राज्य सरकार से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने कहा कि “एक देश, एक शिक्षा” नीति को सख्ती से लागू किया जाए। सभी स्कूलों में समान पाठ्यक्रम, निर्धारित मूल्य पर किताबें और ड्रेस अनिवार्य की जाएं।
आंदोलन की चेतावनी
शालिनी सिंह पटेल ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो जेडीयू उत्तर प्रदेश में बड़ा जन आंदोलन छेड़ेगा। उन्होंने जिला प्रशासन से स्कूलों के ऑडिट और फीस ढांचे की गहन जांच की मांग की है।
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