June 16, 2025

AajtakLive24/BreakingNews/HindiNews/TodayNews/LatestNews/

Aajtaklive24, Aajtak, Hindi News, Hindi Samacha, Breaking News, r

माँ के जाने का ग़म नहीं सह सका राकेश, चुपचाप टूटा बेटा आखिर थक हार गया

Share करें

माँ के जाने का ग़म नहीं सह सका राकेश, चुपचाप टूटा बेटा आखिर थक हार गया
झांसी/पूँछ।

कहते हैं माँ का साया दुनिया की सबसे बड़ी दौलत होती है, और जब वह उठ जाता है तो कुछ दर्द कभी नहीं भरते। झांसी जिले के पूँछ थाना क्षेत्र से आई यह खबर दिल को झकझोर देती है, जहाँ एक बेटे ने माँ के वियोग में टूटकर अपनी जिंदगी खुद खत्म कर ली।

ग्राम मडोरा खुर्द के निवासी 35 वर्षीय युवक अपनी माँ के निधन के बाद से अंदर ही अंदर घुल रहा था। माँ के जाने ने उसे ऐसा तोड़ा कि वह फिर कभी खुद को संभाल नहीं सका। परिवार ने, दोस्तों ने, कोशिश की, पर उसकी आँखों का खालीपन और मन की उदासी हर कोशिश पर भारी पड़ती रही।

रात के अंधेरे में, खिल्ली और अमरौख के बीच, रेलवे ट्रैक पर उसने अपने संघर्षों का अंत कर लिया। ट्रेन की पटरी पर उसकी चुपचाप विदाई ने पूरे गांव को स्तब्ध कर दिया। सूचना मिलते ही पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा।

एक साल का लंबा सन्नाटा
माँ के जाने के बाद का हर दिन राकेश के लिए किसी जंग से कम नहीं था। हर दिन उसे याद करते आँसू बहाना, गुमसुम रहना, धीरे-धीरे सामाजिक जीवन से कट जाना… यह सब एक दर्दनाक कहानी बनती चली गई।

परिवार के मुताबिक, अगर उसे समय रहते सही काउंसलिंग और भावनात्मक सहारा मिला होता, तो शायद आज वह अपने तीन मासूम बच्चों के साथ जिंदगी की जंग लड़ रहा होता, हार नहीं मानता।

सोचने का वक्त है
यह घटना सिर्फ एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि समाज के लिए एक गंभीर चेतावनी है — “मानसिक स्वास्थ्य भी उतना ही महत्वपूर्ण है जितना शारीरिक स्वास्थ्य।” दुख, अवसाद और अकेलापन भीतर ही भीतर इंसान को तोड़ते हैं। उन्हें समय पर सुना जाए, समझा जाए, सहारा दिया जाए, तभी शायद ऐसी दर्दनाक घटनाओं को रोका जा सकता है।

राकेश अब नहीं रहा, लेकिन उसके पीछे एक सवाल छोड़ गया है —
“क्यों हम आज भी किसी के टूटने की आवाज़ सुनने से पहले चुप हो जाते हैं?”