महिला के पेट से निकला 10 किलो का ट्यूमर
मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर्स ने जटिल ऑपरेशन कर बचाई मरीज की जान
लखीमपुर खीरी। कल्पना कीजिए, किसी के पेट में इतना बड़ा ट्यूमर हो कि न खाना खाया जाए, न पानी पिया जाए, और यहां तक कि टॉयलेट तक जाना मुश्किल हो जाए। यही हाल हुआ लखीमपुर की एक महिला का, जिसके पेट में लगभग 10 किलो का विशाल ट्यूमर था। प्राइवेट अस्पतालों में महीनों चक्कर काटने के बाद जब कहीं से इलाज संभव नहीं हो सका तो महिला जिला चिकित्सालय संबद्ध स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय, मोतीपुर ओयल पहुंची। यहाँ डॉक्टर्स ने न केवल चुनौती स्वीकार की, बल्कि अपनी टीम वर्क और विशेषज्ञता से जटिल ऑपरेशन कर मरीज की जान बचा ली।
दर्द और बेबसी में जी रही थी महिला
जानकारी के मुताबिक, मरीज पार्वती कश्यप (45 वर्ष), पत्नी कैलाश कश्यप, निवासी मोहल्ला गढ़ी रोड, लखीमपुर लंबे समय से पेट दर्द, खून की कमी और पेट में सूजन जैसी समस्याओं से जूझ रही थीं। धीरे-धीरे उनकी स्थिति इतनी बिगड़ी कि खाना-पीना बंद हो गया और टॉयलेट तक जाना मुश्किल हो गया।
करीब ढाई महीने तक पार्वती अलग-अलग प्राइवेट अस्पतालों में इलाज करवाती रहीं, लेकिन डॉक्टर इस ऑपरेशन को करने में असमर्थ रहे। अंततः एक हफ्ता पहले उन्हें मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया।
सीटी स्कैन में हुआ बड़ा खुलासा
डॉक्टर्स ने जब मरीज की जांच की तो रिपोर्ट देखकर दंग रह गए। सीटी स्कैन से पता चला कि पार्वती के पेट में टेराटोमा नामक ट्यूमर है, जिसका वजन लगभग 10 किलो है। इस ट्यूमर ने पूरा पेट घेर लिया था और छोटी-बड़ी आंत, मूत्र नलिका सहित कई अंगों पर दबाव बना दिया था। यही कारण था कि मरीज ठीक से खाना नहीं खा पा रही थी और पेशाब करने में दिक्कत हो रही थी।
चुनौती भरा ऑपरेशन
इस बड़े ट्यूमर को निकालना आसान काम नहीं था। मरीज का हीमोग्लोबिन बेहद कम था और शरीर खून की भारी कमी से जूझ रहा था। ऑपरेशन से पहले मरीज को तीन यूनिट ब्लड चढ़ाया गया। इसके बाद शनिवार को डॉक्टर्स की टीम ने ऑपरेशन का निर्णय लिया।
ऑपरेशन टीम का नेतृत्व वरिष्ठ सर्जन एवं सीएमएस डॉ. आर.के. कोली ने किया। उनके साथ सर्जन डॉ. राम जी, डॉ. आयुष, डॉ. अरविंद तथा एनेस्थीसिया विशेषज्ञ डॉ. एस.के. मिश्रा मौजूद रहे। ओटी स्टाफ में रेखा और रवि शुक्ला ने अहम सहयोग दिया।
सफल सर्जरी, मरीज अब स्वस्थ
लगभग कई घंटों तक चले जटिल ऑपरेशन के बाद डॉक्टर्स ने महिला के पेट से 10 किलो का ट्यूमर बाहर निकालने में सफलता पाई। यह सर्जरी जोखिम से भरी थी, क्योंकि ट्यूमर ने पेट के कई महत्वपूर्ण अंगों पर दबाव बना रखा था। slightest गलती मरीज की जान पर भारी पड़ सकती थी।
ऑपरेशन के बाद मरीज को 12 घंटे के लिए एचडीयू (हाई डिपेंडेंसी यूनिट) में रखा गया। फिलहाल पार्वती पूरी तरह से स्वस्थ हैं और सामान्य जीवन जी सकती हैं।
डॉक्टरों ने भी माना बड़ी चुनौती
सीएमएस डॉ. आर.के. कोली ने कहा कि इस तरह की सर्जरी बेहद चुनौतीपूर्ण होती है। ट्यूमर न केवल बड़ा था, बल्कि पेट के विभिन्न हिस्सों से चिपका हुआ था। इसे निकालते समय टीम को अत्यधिक सावधानी बरतनी पड़ी। उन्होंने बताया कि इस तरह के ऑपरेशन से डॉक्टरों को भी मेडिकल क्षेत्र में नई चुनौतियों का सामना करने और अनुभव प्राप्त करने का अवसर मिलता है।
बधाई और सराहना
इस जटिल सर्जरी की सफलता पर संबंधित अधिकारियों और स्वास्थ्य विभाग ने पूरी मेडिकल टीम को बधाई दी। मरीज के परिजनों ने भी डॉक्टरों का आभार जताया और कहा कि यदि समय पर यह ऑपरेशन न हुआ होता तो मरीज की जान पर बन आती।
निष्कर्ष
लखीमपुर की इस महिला का केस इस बात का उदाहरण है कि सरकारी अस्पतालों में भी उच्च स्तरीय चिकित्सा सुविधा उपलब्ध है और यदि डॉक्टर्स जिम्मेदारी और टीम वर्क से काम करें तो असंभव लगने वाले मामलों को भी संभव बनाया जा सकता है।

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