भारतीय जनता पार्टी को जल्द ही नया अध्यक्ष मिलने वाला है। बीजेपी चीफ के चयन को लेकर कोशिशें शुरू हो चुकी हैं। हालांकि, इससे पहले भगवा दल ने अपनी कई राज्य इकाइयों के प्रमुखों को चुन लिया है। इन लोगों में कुछ बातें कॉमन हैं। जैसे कि विचारधारा मिलती-जुलती हो, आरएसएस के साथ संबंध रहा हो, संगठन में काम करने का लंबा अनुभव हो और कम चर्चित प्रोफाइल वाला चेहरा हो। इस तरह भाजपा ने अपने राज्य इकाई के अध्यक्षों को चुनने में निरंतरता और बदलाव का मिश्रण किया है। एक ओर जहां बीजेपी ने चंडीगढ़ और छत्तीसगढ़ में पुराने नेतृत्व पर भरोसा जताया। दूसरी ओर असम, गोवा और महाराष्ट्र में बदलाव को बेहतर समझा गया।
जतिंदर पाल मल्होत्रा और किरण सिंह देव को क्रमशः चंडीगढ़ और छत्तीसगढ़ यूनिट के बीजेपी चीफ के तौर पर दोबारा चुना गया। असम और गोवा में भाजपा ने बदलाव किया और दामू जी नाइक व दिलीप सैकिया राज्य इकाई के नए प्रमुख नियुक्त हुए। लोकसभा सदस्य दिलीप सैकिया निवर्तमान अध्यक्ष भावेश कलिता से प्रदेश इकाई की कमान अपने हाथों में ली। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और दारांग-उदालगुरी निर्वाचन क्षेत्र से दूसरी बार के सांसद सैकिया प्रदेश भाजपा अध्यक्ष पद के लिए एकमात्र प्रत्याशी थे। वह बीजेपी और उसकी युवा शाखा में विभिन्न पदों पर रह चुके हैं। वह 2019 में पहली बार लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे। दामू जी नाइक भी आरएसएस से जुड़े रहे हैं। दो बार के विधायक नाइक अपने छात्र जीवन से ही संघ के साथ हो लिए थे।
जातिगत समीकरण भी रखे जाते हैं ध्यान
दिलीप सैकिया ने इकोनॉमिक टाइम्स को बताया, ‘पार्टी ने मेरे जैसे सामान्य कार्यकर्ता को असम यूनिट का अध्यक्ष चुना है। हमारी पार्टी में बूथ कार्यकर्ता भी राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना सकता है। हमारी पार्टी के कार्यकर्ताओं के लिए तीन चीजें सबसे ज्यादा अहम हैं- राष्ट्र, संगठन और विचारधारा।’ इन सबके बीच कुछ बातें समान हैं। जैसे कि भाजपा आलाकमान ने उन लोगों पर भरोसा जताया, जो मजबूत कार्यकर्ता हैं और विचारधारा में गहराई से रचे-बसे हैं। ये लोग दशकों से संगठन के लिए काम करते आ रहे हैं। इसे लेकर पार्टी नेताओं का कहना है कि मौन और जुझारू कार्यकर्ताओं को सम्मान दिया जा रहा है। ऐसा आगे भी देखने को मिल सकता है। ध्यान देने वाली बात है कि इन नियुक्तियों में जाति भी मायने रखती है। गोवा की तरह नाइक प्रभावशाली भंडारी जाति से हैं। महाराष्ट्र में भाजपा ने रवींद्र चव्हाण को नियुक्त किया, जो कम प्रोफाइल वाले हैं और मराठा समुदाय से आते हैं।
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