सत्रुजीत सिंह सह सम्पादक की कलम से
लखीमपुर खीरी । एक समय था जब पशुओं के चारा घोटाले में बिहार के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को जेल हो गई थी लेकिन अब तो ऐसा प्रतीत होता है कि चारा घोटाले में लालू तो मुफ्त में बदनाम है अब उनसे तो उत्तर प्रदेश के प्रधान, पशुपालन विभाग के अधिकारी,पंचायत अधिकारी सेक्रेटरी आदि काफी आगे निकल चुके हैं।
उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद उन्होंने गोवध पर प्रतिबंध लगा दिया और गौशालाएं निर्माण करने का आदेश भी दिया जिसका प्रबंधन ग्रामीण इलाकों में प्रधान तथा ग्राम पंचायत अधिकारी एवं पशुपालन विभाग के अधिकारियों को सौंपा गया जिससे सरकार ने गायों एवं गौवंश को कटने से तो बचा लिया लेकिन इन लोगों के उत्तम प्रबंधन के कारण गोवंश की हालत दिन प्रतिदिन खराब होती जा रही हैं और वह इन तथाकथित गौशालाओं में मरणासन्न अवस्था में पहुंचकर दम तोड़ देती हैं हालात यह हो गए कि सरकार द्वारा दिए गए इनके खाने के प्रबंध संबंध में चारे भूसे के पैसे को भी इन सभी के द्वारा मिलकर डकारा जा रहा है और गौशाला में गोवंश भूखों मर मर कर दम तोड़ रहे हैं,इस प्रकार की खबरें आए दिन अखबारों की सुर्खियां बनती हैं लेकिन मजाल है कि भ्रष्ट अधिकारियों के कानों पर जूं रेंगे।
हमारी सनातन संस्कृति में गोवंश का जो महत्व और उपयोगिता बताई गई है संभवत उसी के विकास हेतु उत्तर प्रदेश सरकार ने इस तरह का निर्णय लिया था लेकिन इन महान अधिकारियों कर्मचारियों के चलते गोवंश या तो सड़कों पर मारे मारे घूम रहे हैं या फिर गौशाला में भूखे रहकर दम तोड़ रहे हैं। पहले लोग भले ही नहीं जानते हो लेकिन आजकल सोशल मीडिया के जमाने में अब इतनी जागरुकता लोगों में आ गई है कि उन्हें गोवंश के महत्व का पता चल रहा है लेकिन समाज में इन लोगों द्वारा उसका महत्व बताइए जाने का कार्य तो किया नहीं गया ताकि तथाकथित आधुनिकों को भी मनुष्यों के लिए अत्यंत हितकर परमात्मा द्वारा प्रदत्त इस अमूल्य वंश की महत्ता समझ में आ जाए क्योंकि उन्हें दूध दही मट्ठा आदि सब कुछ चाहिए लेकिन गोपालन नहीं करेंगे पालने के नाम पर केवल कुत्ता पालेंगे
अब ऐसे में इन सभी को क्या कहा जाए कि यह की कौन सी शिक्षा प्राप्त किए हैं ? सरकार की शायद मनसा रही होगी की गौशालाओं के माध्यम से उनके गोबर मूत्र आदि का उपयोग कर भविष्य में गैस व गोबर की खाद अर्थात जैविक खाद बनाकर खेती किसानी को पूर्णतया ऑर्गेनिक किया जाएगा जिससे इन जानलेवा रसायनों से खेती को छुटकारा मिलेगा और देश को लगभग फ्री में फसलों के लिए खाद उपलब्ध होगी लेकिन इन तथाकथित शिक्षित अधिकारी गण सरकार की इस मनसा पर पूरी तरह पानी फेरने पर आमादा है इन्होंने तो वह हालात पैदा कर दिए जो की पूर्णतया शर्मसार करने वाले हैं इन लोगों ने गायों के चारे को भी अपना ही चारा बना डाला और गोवंश को भूखे मरने के लिए छोड़ दिया। जबकि इस संबंध में जानकारों का मानना है कि अगर गोवंश के गोबर मूत्र से ही इतनी उपयोगी चीजों का निर्माण हो सकता है जिससे उनका चारे आदि का खर्चा सब निकाल कर गौ सेवक को भी लाभ होगा क्योंकि यह लोग धर्म-कर्म तो बिल्कुल मानते ही नहीं है इसलिए इनको इसके धार्मिक महत्व का तो क्या पता होगा यह तो गोवंश को भी एक सामान्य किस्म का पशु ही मानते हैं जबकि हमारे शास्त्र और ग्रंथ इसकी उपयोगिता का बखान करते नहीं थकते स्वयं परमात्मा परमेश्वर के पूर्ण अवतार भगवान श्री कृष्ण जी ने इसका महत्व समाज को समझाने के लिए गोवंश का जो सेवा किया वह किसी से छुपा नहीं है इस वंश की महत्ता उपयोगिता को आज विभिन्न देशों के वैज्ञानिक भी सिद्ध कर रहे हैं और निरन्तर शोध में लगे हैं।
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