August 2, 2025

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“अन्तिम सत्य के साथ रहने वाले को कहते हैं सन्त” : महात्मा मोहन दास 

महाकुंभ नगर प्रयागराज/लखीमपुर।

सन्त ज्ञानेश्वर स्वामी सदानन्द जी परमहंस द्वारा संस्थापित संस्था सदानन्द तत्त्वज्ञान परिषद् के तत्त्वावधान में महाकुंभ मेला हरिश्चंद्र चौराहा स्थित शिविर में सत्संग सुनाते हुए महात्मा मोहन दास ने कहा, जिस शरीर विशेष का सब कुछ भगवान ही हो अर्थात् जिसके भीतर-बाहर, नीचे-ऊपर और पीछे-आगे परमेश्वर ही हो, ऐसे उस अन्तिम सत्य के साथ रहन-सहन वाले को ही सन्त कहते हैं और चूँकि सृष्टि के समस्त समृद्धियों की मालकिन लक्ष्मी घूमफिर कर परमेश्वर की पास ही अन्त में आकर ठहरती है, इसलिये ऐसे सन्त के पीछे-पीछे अपने ही मर्यादा के लिये सारी समृद्धियाँ सहजतापूर्वक बनी रहती है।

महात्मा जी ने कहा सच्चा सन्त कभी अपने शिष्य, सेवक एवं अनुयायी को घर-परिवार एवं विषय भोग की छुट नहीं दे सकता , जो सच्चा सन्त होता है वह अपने शिष्यों को घर परिवार रुपी बन्धन से निकाल कर उसको परमात्मा से जोड़ता है। यही मनुष्य जीवन का चरम व परम लक्ष्य है ।

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