सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की मांग को लेकर जनपद लखीमपुर खीरी के लोगों का संघर्ष
उत्तर प्रदेश के जनपद लखीमपुर खीरी की तहसील पलिया कलां में स्थित ग्राम पंचायतों में लंबे समय से सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) बनाए जाने की मांग उठ रही है। इस दिशा में क्षेत्र के जागरूक नागरिक और सामाजिक कार्यकर्ता राजेश भास्कर के नेतृत्व में हस्ताक्षर अभियान की एक व्यापक मुहिम चलाई जा रही है। इस अभियान का उद्देश्य न केवल सरकारी अधिकारियों और स्थानीय प्रतिनिधियों का ध्यान आकर्षित करना है, बल्कि क्षेत्र के नागरिकों को स्वास्थ्य सुविधाओं के महत्व से अवगत कराना भी है।
स्वास्थ्य सुविधाओं की वर्तमान स्थिति
लखीमपुर खीरी के ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं की भारी कमी है। तहसील पलिया कलां और आस-पास की ग्राम पंचायतों के लोग प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और निजी क्लीनिकों पर निर्भर हैं, जो अक्सर बहुत दूर और महंगे होते हैं। गंभीर बीमारियों या आपात स्थितियों में मरीजों को दूर या बड़े शहरों में इलाज के लिए जाना पड़ता है। इससे समय और धन दोनों की हानि होती है। ऐसे में एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण यहां के नागरिकों की आवश्यकता नहीं, बल्कि अनिवार्यता है।
हस्ताक्षर अभियान की शुरुआत और जनसंपर्क
इस मुहिम की शुरुआत क्षेत्र के नागरिकों की जरूरतों को समझते हुए की गई। राजेश भास्कर के नेतृत्व में एक टीम गठित की गई, जिसमें ग्राम पंचायत के प्रमुख सदस्य, समाजसेवी, व्यापारी और युवा शामिल हैं। हस्ताक्षर अभियान की शुरुआत ग्राम पंचायत कमलापुर से की गई।
इस अभियान में क्षेत्र के नागरिकों ने बड़ी उत्सुकता से हिस्सा लिया। गांव में आयोजित बैठकों में लोगों ने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की आवश्यकता को खुलकर स्वीकार किया और अपना समर्थन दिया। राजेश भास्कर ने बताया कि लोगों ने इस अभियान को अपने दिल से अपनाया है और हस्ताक्षर करके इस मांग को मजबूती प्रदान कर रहे हैं।
क्षेत्रीय नेताओं का समर्थन
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बनाए जाने की इस मांग को क्षेत्रीय नेताओं और प्रतिनिधियों का भी भरपूर समर्थन मिल रहा है। अभियान में पूर्व प्रधान इंद्रजीत कनौजिया, धर्मेंद्र सिंह, राजभर इंद्रजीत, व्यापार मंडल अध्यक्ष ओमप्रकाश मद्धेशिया, महामंत्री इश्तियाक खान, आलोक सिंह, मोनू मद्धेशिया, संजय गुप्ता और शाहिद जैसे नेताओं ने सक्रिय भूमिका निभाई। इन सभी ने गांवों का दौरा कर लोगों को इस मुहिम के उद्देश्य से अवगत कराया और उनके हस्ताक्षर करवाए।
जनता का समर्थन
यह हस्ताक्षर अभियान केवल एक मांगपत्र तक सीमित नहीं है, बल्कि यह लोगों के बीच एकजुटता और जागरूकता पैदा करने का माध्यम भी है। आम जनमानस ने इस अभियान में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। महिलाओं, बुजुर्गों और युवाओं ने अपने हस्ताक्षर कर इस मांग का समर्थन किया। लोगों का मानना है कि यदि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण होता है, तो इससे न केवल इलाज के लिए दूर-दराज की यात्रा की जरूरत खत्म होगी, बल्कि गांव के लोगों को रोजगार के नए अवसर भी मिलेंगे।
भविष्य की योजना
इस हस्ताक्षर अभियान के बाद योजना यह है कि सभी हस्ताक्षरों को एकत्रित कर एक ज्ञापन तैयार किया जाएगा। इसे क्षेत्रीय विधायक के माध्यम से उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री श्री बृजेश पाठक तक पहुंचाया जाएगा। साथ ही, हस्ताक्षर अभियान को व्यापक रूप से प्रचारित करने के लिए सोशल मीडिया और स्थानीय समाचार पत्रों का भी सहारा लिया जाएगा।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की आवश्यकता
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण न केवल चिकित्सा सेवाओं को सुलभ बनाएगा, बल्कि यह क्षेत्र के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यह केंद्र आसपास के दर्जनों गांवों के लिए एक वरदान साबित होगा। इसके माध्यम से बच्चों के टीकाकरण, मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य सेवाओं, सामान्य चिकित्सा सेवाओं और आपातकालीन चिकित्सा सेवाओं की सुविधाएं प्रदान की जा सकेंगी।
चुनौतियां और समाधान
हालांकि, इस मुहिम के सामने कुछ चुनौतियां भी हैं। कुछ लोग इसे सरकारी प्रक्रिया के जटिल होने के कारण असंभव मानते हैं। लेकिन अभियान के संयोजक और समर्थक इस बात को लेकर आशान्वित हैं कि यदि क्षेत्र के लोग मिलकर प्रयास करें और जनप्रतिनिधियों का सहयोग मिले, तो यह मांग अवश्य पूरी होगी।
समाजसेवियों का योगदान
इस मुहिम में समाजसेवियों की भूमिका भी सराहनीय रही है। उन्होंने न केवल आर्थिक सहायता प्रदान की, बल्कि लोगों को अभियान के उद्देश्य के प्रति जागरूक भी किया। इन समाजसेवियों ने गांव-गांव जाकर अभियान को गति दी और इसे एक जन आंदोलन का रूप दिया।
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की मांग को लेकर चल रहा यह हस्ताक्षर अभियान क्षेत्र के लोगों की एकजुटता और जागरूकता का प्रतीक है। यह न केवल स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने की दिशा में एक कदम है, बल्कि यह दिखाता है कि जब लोग अपने अधिकारों और जरूरतों के लिए मिलकर खड़े होते हैं, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता। राजेश भास्कर और उनकी टीम की इस पहल ने न केवल क्षेत्रीय मुद्दों को उजागर किया है, बल्कि जनभागीदारी के महत्व को भी रेखांकित किया है।
अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि सरकार और प्रशासन इस मांग को किस रूप में स्वीकार करते हैं। लेकिन एक बात तय है, इस अभियान ने क्षेत्र के लोगों के दिलों में उम्मीद की एक नई किरण जरूर जगाई है।
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