डीएम की तत्परता बनी जरूरतमंद परिवार की ढाल — औरंगाबाद में छोटे राठौर के घर पहुंची राहत, बच्चों के चेहरों पर लौटी मुस्कान
लखीमपुर खीरी, 11 अक्तूबर।
“सरकार सो रही है क्या?” — यह सवाल अक्सर हालात से मजबूर लोगों के मन में उठता है। लेकिन तहसील मितौली के ग्राम औरंगाबाद में एक उदाहरण ऐसा देखने को मिला जिसने यह साबित कर दिया कि यदि सूचना सही ढंग से प्रशासन तक पहुंचे तो मदद में देर नहीं लगती। यही हुआ मोहल्ला कटरा कुआं निवासी छोटे राठौर के साथ।
गरीबी से जूझते इस परिवार की हालत बेहद दयनीय थी। घर में खाने को अनाज नहीं, बच्चों के तन पर समुचित वस्त्र नहीं और दस्तावेजों के अभाव में कोई भी सरकारी योजना उन तक नहीं पहुंच पा रही थी। लेकिन जैसे ही यह जानकारी डीएम दुर्गा शक्ति नागपाल तक पहुंची, उन्होंने बिना देर किए तत्काल राहत पहुंचाने के निर्देश दे दिए।
तत्काल एक्शन — प्रशासन की संवेदनशीलता बनी मिसाल
डीएम के आदेश पर एसडीएम मितौली मधुसूदन गुप्ता ने फौरन राजस्व टीम (राजस्व निरीक्षक और लेखपाल) के साथ मौके पर पहुंचकर परिवार की स्थिति का जायजा लिया। स्थिति देखकर अधिकारी स्वयं भावुक हो उठे और तुरंत राहत सामग्री उपलब्ध कराई गई।
परिवार को प्रदान की गई सहायता सामग्री में शामिल थे—
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50 किलो गेहूं
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50 किलो चावल
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सब्जी, आलू, दाल, नमक, तेल सहित जरूरी किराना सामग्री
इनके मिलते ही घर के माहौल में भारी बदलाव देखने को मिला। जहां पहले चेहरे पर निराशा और हताशा थी, वहीं अब बच्चों की आंखों में चमक और माता-पिता के चेहरों पर उम्मीद की रौशनी लौट आई।

दस्तावेज़ों का संकट भी हुआ दूर — शुरू हुई आधार व राशन कार्ड की प्रक्रिया
सबसे बड़ी समस्या थी कि परिवार के पास आधार कार्ड और राशनकार्ड नहीं थे, जिस वजह से वे प्रधानमंत्री अन्न योजना एवं अन्य लाभकारी योजनाओं से वंचित थे। इस पर एसडीएम मधुसूदन गुप्ता ने तत्परता दिखाते हुए दस्तावेज एकत्र कर लिए हैं और आधार एवं राशनकार्ड बनवाने की प्रक्रिया शुरू करा दी है।
अब जल्द ही यह परिवार सरकारी योजनाओं के स्थायी लाभार्थी के रूप में शामिल हो जाएगा।
डीएम दुर्गा शक्ति नागपाल ने दिया मानवीय संदेश
डीएम ने इस कार्यवाही की पुष्टि करते हुए कहा—
“सरकार की मंशा है कि कोई भी परिवार भूखा या बेसहारा न रहे। जरूरतमंदों को तत्काल सहायता पहुंचाना प्रशासन की सर्वोच्च प्राथमिकता है।”
उनकी यह संवेदनशीलता न केवल एक परिवार के लिए राहत लेकर आई बल्कि पूरे जिले के लिए प्रेरणास्रोत बन गई।
प्रशासन की त्वरित मदद — जनता का विश्वास हुआ मजबूत
औरंगाबाद की यह घटना साबित करती है कि जब प्रशासन सक्रिय और संवेदनशील हो तो सिस्टम भी इंसानियत दिखा सकता है। छोटे राठौर का परिवार अब केवल सहायता का लाभार्थी नहीं रहा, बल्कि यह आशा का प्रतीक बन गया है—
कि अगर किसी की पीड़ा सरकार तक पहुंचे, तो वह अनसुनी नहीं जाती।
यह पहल केवल अनाज देने भर की नहीं, बल्कि एक परिवार के जीवन में नई शुरुआत का संचार है। छोटे राठौर के घर का चूल्हा फिर से जल उठा है और बच्चे अब भूख नहीं बल्कि भविष्य के सपने देख रहे हैं।
इस घटना ने बताया — जब प्रशासन संवेदनशील हो तो शासन केवल आदेशों में नहीं, बल्कि लोगों की खुशियों में दिखता है।

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