“रन फॉर यूनिटी” में सीतापुर की जनता का उमड़ा सैलाब — सरदार पटेल की जयंती पर एकता और अखंडता का दिया संदेश
रिपोर्ट — अजय सिंह, ब्यूरो चीफ, सीतापुर
सीतापुर।
देश की एकता, अखंडता और राष्ट्रीय समरसता के प्रतीक लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की 150वीं जयंती पर पूरे देश में “राष्ट्रीय एकता दिवस” उत्साहपूर्वक मनाया गया। इसी क्रम में सीतापुर पुलिस द्वारा “रन फॉर यूनिटी” का भव्य आयोजन किया गया, जिसमें आम जनमानस, छात्र, युवा, सामाजिक कार्यकर्ता और पुलिस बल ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
कार्यक्रम का नेतृत्व थानाध्यक्ष तालगांव आशीष तिवारी ने किया, जबकि आयोजन पुलिस अधीक्षक अंकुर अग्रवाल के निर्देशन में संपन्न हुआ। इस दौड़ का उद्देश्य था — देश में एकता, भाईचारे और राष्ट्रभक्ति का संदेश देना, साथ ही सरदार पटेल के अद्वितीय योगदान को याद करना।

दौड़ परसेंडी स्टेशन से तालगांव तक आयोजित की गई, जो सुबह 7 बजे उत्साहपूर्ण माहौल में शुरू हुई। हाथों में तिरंगा लिए नागरिक “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” के नारे लगाते हुए दौड़ते नजर आए। सभी प्रतिभागियों ने एक स्वर में संदेश दिया — “कदम से कदम मिलाओ, एकता की दौड़ लगाओ, सरदार पटेल के सपनों का भारत बनाओ।”
थानाध्यक्ष आशीष तिवारी ने इस अवसर पर कहा,
“यह दौड़ सरदार वल्लभभाई पटेल को हमारी सच्ची श्रद्धांजलि है। उन्होंने जिस संकल्प और दूरदृष्टि से सैकड़ों रियासतों को जोड़कर एक अखंड भारत का निर्माण किया, वह कार्य इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज है। आज का यह आयोजन उसी भावना को जन-जन तक पहुंचाने का प्रयास है।”
उन्होंने आगे कहा कि देश की एकता और अखंडता को बनाए रखना प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है। आज के बदलते परिवेश में आवश्यक है कि युवा पीढ़ी सरदार पटेल जैसे महानायकों से प्रेरणा लेकर राष्ट्र निर्माण में अपनी सक्रिय भूमिका निभाए।
एसपी अंकुर अग्रवाल ने भी अपने संदेश में कहा —
“रन फॉर यूनिटी केवल एक दौड़ नहीं, बल्कि एक संदेश है कि हम सभी एक भारत के नागरिक हैं। हमें जाति, धर्म और भाषा से ऊपर उठकर देश की एकता के लिए कार्य करना चाहिए।”
इस अवसर पर बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं, पुलिसकर्मी, स्थानीय नागरिक, समाजसेवी और खेल प्रेमी शामिल हुए। आयोजन के अंत में प्रतिभागियों को “राष्ट्रीय एकता दिवस” की शपथ भी दिलाई गई।
कार्यक्रम ने सीतापुर में राष्ट्रीय एकता और भाईचारे का अद्भुत संदेश फैलाया। लोग भावनात्मक रूप से जुड़े और यह साबित किया कि सरदार पटेल के आदर्श आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने स्वतंत्र भारत के निर्माण के समय थे।
सीतापुर की धरती से गूंजा एक ही स्वर — “एकता में ही शक्ति है, और यही सरदार पटेल की सच्ची विरासत है।”

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