बांदा: चरका खदान में बूम मशीनों से अवैध खनन चरम पर, प्रशासन मौन
बांदा | तहसील बबेरू से रिपोर्ट – संतोष त्रिपाठी
बांदा जनपद के चरका यमुना खदान में इन दिनों अवैध खनन का खेल अपने चरम पर है। एनजीटी (राष्ट्रीय हरित अधिकरण) के सख्त निर्देशों के बावजूद भारी बूम वाली पोकलैंड मशीनों से यमुना की जलधारा से बेतहाशा मौरंग निकाली जा रही है। प्रशासन और पुलिस की चुप्पी खदान माफियाओं के हौसले बुलंद कर रही है।
एनजीटी गाइडलाइंस की खुलेआम उड़ाई जा रही धज्जियां
एनजीटी द्वारा नदी के बीच भारी मशीनों से खनन पर पूर्ण रोक है, लेकिन चरका खदान में ये मशीनें खुलेआम नदी के सीने को छलनी कर रही हैं। भारी भरकम पोकलैंड मशीनें तय क्षेत्र से बाहर गहराई में जाकर बालू निकाल रही हैं, जिससे नदी की जैव विविधता, जलधारा और स्थानीय पर्यावरण को गंभीर खतरा उत्पन्न हो रहा है।
गंगा समग्र ने उठाई आवाज़
गंगा समग्र, कानपुर प्रान्त के ब्लॉक संयोजक शत्रुघ्न सिंह ने चेताया कि,
“इस अवैध खनन से ना सिर्फ जलीय जीव-जंतुओं—जैसे मछलियाँ और कछुए—की प्रजातियाँ संकट में हैं, बल्कि शासन को प्रतिदिन करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान भी हो रहा है।”
उन्होंने कहा कि सैकड़ों ओवरलोड वाहन खदान से बालू लेकर निकलते हैं, जिनसे सड़कें टूट रही हैं और नियमों की अनदेखी हो रही है।
प्रशासनिक चुप्पी पर सवाल
स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासनिक चुप्पी “ऊपर तक सेटिंग” की ओर इशारा करती है। क्षेत्रीय प्रशासन और पुलिस का इस खनन पर कोई एक्शन न लेना, बड़े सवाल खड़े करता है।
राजस्व को करोड़ों की चपत
खनन क्षेत्र से बाहर जाकर, नदी की धारा मोड़कर किया जा रहा यह अवैध खनन न सिर्फ प्रकृति का दोहन है, बल्कि राजस्व विभाग के साथ एक बड़ा छल भी है। प्रशासन की निष्क्रियता के चलते शासन को रोजाना लाखों रुपये की चपत लग रही है।
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