गोवंशों पर कहर बनकर टूटी जिम्मेदारों की लापरवाही, भूख-प्यास और इलाज के बिना तड़प-तड़प कर हो रही मौतें
रिपोर्टिंग : संतोष त्रिपाठी
बांदा (जसपुरा)।
भीषण गर्मी में एक ओर इंसान तक बेहाल हैं, वहीं दूसरी ओर गोवंशों की हालत और भी बदतर होती जा रही है। जसपुरा ब्लॉक की ग्राम पंचायत रामपुर और सिकहुला से दिल दहला देने वाली तस्वीरें सामने आई हैं। यहां भूख, प्यास और इलाज के अभाव में गौवंश दम तोड़ रहा है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी अभी भी गहरी नींद में सोए हुए हैं।
विश्व हिंदू महासंघ गौरक्षा समिति के तहसील अध्यक्ष पवन कुमार द्विवेदी ने जब अपनी टीम के साथ रामपुर की गौशाला का निरीक्षण किया, तो वहां सिर्फ दो ही गोवंश जीवित मिले, जो कि बुरी हालत में थे। बाकी सभी गौवंश गौशाला से गायब थे। सवाल यह है कि जो गौवंश सरकारी अभिलेखों में दर्ज हैं, वे कहां चले गए? क्या उन्हें बेच दिया गया? या उनकी मौत के बाद मामले को दबा दिया गया?
दूसरी तरफ ग्राम पंचायत सिकहुला की अस्थायी गौशाला में भी भयानक लापरवाही उजागर हुई है। ग्राम प्रधान ने गंभीर आरोप लगाए हैं कि क्षेत्रीय पशु चिकित्सक इलाज के लिए कभी नहीं आते। बार-बार सूचना देने के बावजूद डॉक्टर फोन तक नहीं उठाते, जिससे गौवंश बिना इलाज के तड़पकर मर रहे हैं।
अब सवाल उठता है कि आखिर जिम्मेदार अधिकारी कब जागेंगे? क्या गौमाता के नाम पर बजट सिर्फ कागजों तक सीमित रहेगा? गौशालाएं कब तक मौत का घर बनी रहेंगी?
पशु विभाग और स्थानीय प्रशासन की यह घोर लापरवाही न केवल शर्मनाक है, बल्कि आपराधिक भी है।
अब ज़रूरत है सख्त कार्रवाई की, जवाबदेही तय करने की और लापरवाह अधिकारियों पर कठोर दंडात्मक कदम उठाने की। गौसंरक्षण केवल भाषणों में नहीं, जमीन पर भी दिखना चाहिए।

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