August 1, 2025

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लखीमपुर से ब्रेकिंग रिपोर्ट — पटेल नगर पुलिया मोड़ बना ‘सड़क पर बिछा कत्लगाह’, गिट्टी पर फिसलती ज़िंदगी और प्रशासन बना मूकदर्शक!

लखीमपुर से ब्रेकिंग रिपोर्ट — पटेल नगर पुलिया मोड़ बना ‘सड़क पर बिछा कत्लगाह’, गिट्टी पर फिसलती ज़िंदगी और प्रशासन बना मूकदर्शक!

लखीमपुर खीरी। शहर के पटेल नगर पुलिया मोड़ पर हर दिन सड़क हादसों का सिलसिला जारी है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी अब भी नींद में हैं। घरों के निर्माण के नाम पर गिट्टी डालकर सड़क पर खुलेआम अतिक्रमण किया गया है। हालात ऐसे हैं कि सड़क अब गली नहीं, बल्कि एक लाइव एक्सिडेंट ज़ोन बन चुकी है।

यह कोई एक दिन की घटना नहीं है, यहां हर रोज़ स्कूटी और बाइक सवार गिर रहे हैं, घायल हो रहे हैं, और सिस्टम बस तमाशा देख रहा है। शनिवार को वरिष्ठ पत्रकार प्रतीक श्रीवास्तव इसी मोड़ पर गिट्टी के ढेर में फिसल कर गंभीर रूप से घायल हो गए। उनके हाँथ और पैर में गहरी चोटें आई हैं ।

स्थानीय लोगों का कहना है कि एक घर के निर्माण के लिए जानबूझकर सड़क पर गिट्टी डाल दी गई, जिससे राहगीरों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। “कभी स्कूल जा रहे बच्चे गिरते हैं, कभी बुज़ुर्ग। महिलाएं स्कूटी पर गिरकर लहूलुहान हो रही हैं,” एक स्थानीय महिला ने गुस्से में कहा।

जनता का गुस्सा फूट पड़ा

प्रशासन की सुस्ती और कार्रवाई की कमी को लेकर लोग अब खुलकर सवाल उठा रहे हैं।

  • “क्या अब किसी की जान जाने के बाद ही उठेगा प्रशासन?”

  • “सड़क पर अतिक्रमण करने वालों को संरक्षण कौन दे रहा है?”

  • “घायल जनता तड़प रही है और गुनहगार खुलेआम घूम रहे हैं!”

यह सिर्फ एक मकान मालिक की लापरवाही नहीं, पूरे सिस्टम की नाकामी है। अतिक्रमण हटाने के लिए न तो नगर पालिका ने कोई अभियान चलाया और न ही पुलिस ने कोई सख्त कदम उठाया।

प्रशासनिक चुप्पी शर्मनाक

इस गंभीर मामले पर अब तक किसी जिम्मेदार अधिकारी का बयान सामने नहीं आया है। लोगों का कहना है कि बार-बार शिकायतों के बावजूद न तो गिट्टी हटाई गई और न ही अतिक्रमण करने वालों पर कोई कार्रवाई हुई।

अब सवाल साफ है:

क्या पटेल नगर पुलिया मोड़ पर किसी की जान जाना ज़रूरी है, तब जाकर प्रशासन हरकत में आएगा? या फिर यह सड़क ऐसे ही एक खुला कत्लगाह बनी रहेगी?

लखीमपुर पूछ रहा है – कब जागेगा सिस्टम?
कब टूटेगा सन्नाटा? और कब चलेगा प्रशासन का हथौड़ा?
यह सवाल अब सिर्फ पत्रकारों या स्थानीय लोगों का नहीं, बल्कि पूरे लखीमपुर का है।

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