लखीमपुर खीरी। जनपद में वेक्टर जनित रोगों की रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग ने प्रभावी कदम उठाते हुए गुरुवार को शहर के दो प्रमुख तालाबों में गैम्बुजिया (लार्वा भक्षी) मछली छोड़ी। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डॉ. सतोष गुप्ता के नेतृत्व में यह अभियान राजापुर और नौरंगाबाद स्थित तालाबों में संचालित किया गया।
सीएमओ डॉ. सतोष गुप्ता ने बताया कि मच्छरों के प्रजनन को नियंत्रित करने और वेक्टर जनित रोगों के प्रसार को रोकने के लिए शासन के निर्देशों के तहत इस जैविक उपाय को अपनाया गया है। जनपद वेक्टर जनित रोगों के लिहाज से संवेदनशील रहा है, जहां मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया जैसी बीमारियों का खतरा बना रहता है। ऐसे में मच्छरों की संख्या को नियंत्रित करना अत्यंत आवश्यक है।
क्या है गैम्बुजिया मछली और कैसे करती है काम?
गैम्बुजिया मछली, जिसे “मास्कीटो फिश” के नाम से भी जाना जाता है, मच्छरों के लार्वा को खाकर उनकी संख्या को नियंत्रित करती है। एक पूर्ण विकसित गैम्बुजिया मछली प्रतिदिन करीब 300 मच्छरों के लार्वा खाती है। यह एक प्राकृतिक जैविक उपाय है, जिससे मच्छरों के प्रजनन को रोका जाता है और मच्छर जनित बीमारियों पर प्रभावी नियंत्रण किया जा सकता है।
स्रोत नष्ट करने और जनजागरूकता पर विशेष ध्यान
स्वास्थ्य विभाग सिर्फ जैविक उपायों तक सीमित नहीं है, बल्कि अन्य तकनीकों का भी उपयोग कर रहा है। वर्ष 2024 में उच्च जोखिम और अति संवेदनशील क्षेत्रों में सोर्स रिडक्शन, एंटी लार्वा स्प्रे और जनजागरूकता अभियानों को भी प्राथमिकता दी जा रही है, ताकि लोग मच्छर जनित बीमारियों से बचाव के तरीकों को अपनाएं।
इस मौके पर एसीएमओ डॉ. एसपी मिश्रा, डीएमओ हरि शंकर, वरिष्ठ मलेरिया निरीक्षक दावा लामा और मलेरिया निरीक्षक विकास मिश्रा समेत अन्य स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी उपस्थित रहे।
➡️ आप भी मच्छर जनित बीमारियों से बचाव के लिए अपने आसपास पानी इकट्ठा न होने दें और स्वास्थ्य विभाग के दिशा-निर्देशों का पालन करें।
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