October 26, 2025

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महिलाओं के लिए सुरक्षित आश्रय और पुनर्वास की मांग पर शालिनी सिंह पटेल की पहल, मंत्री अरविंद शर्मा ने दिए सकारात्मक संकेत

बांदा की महिलाओं के लिए सुरक्षित आश्रय और पुनर्वास की मांग पर शालिनी सिंह पटेल की पहल, मंत्री अरविंद शर्मा ने दिए सकारात्मक संकेत

लखनऊ/बांदा, 8 मई:
जनता दल यूनाइटेड (उत्तर प्रदेश) की प्रदेश उपाध्यक्ष शालिनी सिंह पटेल ने सामाजिक न्याय और महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए आज लखनऊ स्थित मंत्री आवास पर नगर विकास, नगरीय रोजगार, ऊर्जा एवं गरीबी उन्मूलन मंत्री अरविंद कुमार शर्मा से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने जनपद बांदा की बेसहारा, पीड़ित और उपेक्षित महिलाओं की समस्याओं को लेकर एक संविधान आधारित मांग-पत्र सौंपा।

शालिनी सिंह पटेल ने मांग-पत्र में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 15(3), 16, 21 और 39 का हवाला देते हुए कहा कि राज्य सरकार को बांदा जैसे पिछड़े जिलों में उन महिलाओं के लिए एक समेकित योजना लागू करनी चाहिए जो घरेलू हिंसा, परित्याग, विधवापन या अन्य सामाजिक कारणों से असुरक्षित जीवन जीने को मजबूर हैं।

उन्होंने कहा,

“बांदा की अनेक महिलाएं ऐसी हैं जिनके पास न तो सिर पर छत है, न कोई रोजगार, और न ही स्वास्थ्य या शिक्षा जैसी बुनियादी सुविधाएं। इस स्थिति में वे कई बार अवसाद, आत्महत्या और बाल श्रम जैसे संकटों में फंस जाती हैं। यह संविधान में मिले जीवन और गरिमा के अधिकार का सीधा उल्लंघन है।”

उन्होंने अपनी पाँच प्रमुख मांगें मंत्री के समक्ष रखीं:

  1. महिला आश्रय गृह की स्थापना

  2. स्वरोजगार प्रशिक्षण केंद्र

  3. निःशुल्क एवं गुणवत्तापूर्ण शिक्षा

  4. निःशुल्क स्वास्थ्य सुविधाएं व महिला अस्पताल

  5. मानसिक स्वास्थ्य एवं विधिक सहायता केंद्र

मुलाकात के दौरान मंत्री अरविंद शर्मा ने इस गंभीर विषय को अत्यंत सकारात्मक रूप से लिया और आश्वस्त किया कि

“यह एक बहुत अच्छा और ज़रूरी सुझाव है, जो वास्तव में महिलाओं के हित में है। सरकार इस पर शीघ्र कार्य योजना तैयार करेगी और ज़रूरी कदम उठाए जाएंगे।”

शालिनी सिंह पटेल ने मंत्री के सहयोगात्मक रुख के लिए आभार व्यक्त करते हुए कहा,

“मंत्री जी ने मेरी बातों को बहुत ध्यान से सुना और महिलाओं की पीड़ा को समझते हुए भरोसा दिलाया है कि वे स्वयं इस प्रस्ताव को आगे बढ़ाएंगे। यह पहल उन महिलाओं के लिए आशा की किरण है जिनकी आवाज़ अक्सर अनसुनी रह जाती है।”

यह पहल सामाजिक न्याय, समता और मानवीय गरिमा जैसे संवैधानिक मूल्यों को धरातल पर उतारने की दिशा में एक सार्थक प्रयास के रूप में देखी जा रही है।

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