राजकीय सामुदायिक फल संरक्षण केंद्र में 100 दिवसीय खाद्य प्रसंस्करण प्रशिक्षण का शुभारंभ
डॉ. इरा श्रीवास्तव ने किया उद्घाटन, आत्मनिर्भर भारत की दिशा में सशक्त कदम
लखीमपुर खीरी।
राजकीय सामुदायिक फल संरक्षण केंद्र, लखीमपुर खीरी में आज 27 मई 2025 को 100 दिवसीय उद्यमिता विकास खाद्य प्रसंस्करण प्रशिक्षण कार्यक्रम का भव्य शुभारंभ हुआ। नगर पालिका परिषद की अध्यक्ष डॉ. इरा श्रीवास्तव ने माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण व फीता काटकर कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इस मौके पर वह मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं।
कार्यक्रम में जिला पंचायत सदस्य श्री दुर्गेश वर्मा, शिवकुमार पिप्पल, कुमारी नेहा वर्मा, रामजी वर्मा, संतोष कुमार व दिनेश कुमार समेत अनेक गणमान्य अतिथि भी मौजूद रहे।
डॉ. श्रीवास्तव ने अपने उद्बोधन में प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा, “यह प्रशिक्षण न केवल आपके भीतर की क्षमताओं को उजागर करेगा, बल्कि आपको आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने में भी सहभागी बनाएगा। ग्रामीण महिलाओं व युवाओं को चाहिए कि वे स्थानीय संसाधनों का उपयोग कर स्वरोजगार की दिशा में आगे बढ़ें।”
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पूर्व जिला समन्वयक कौशल विकास मिशन श्री अनूप सिंह ने ‘लिज्जत पापड़’ की प्रेरणादायक कहानी सुनाई और बताया कि कैसे कुछ महिलाओं ने सीमित संसाधनों के बावजूद एक राष्ट्रीय ब्रांड की नींव रखी। उन्होंने प्रतिभागियों से कहा, “आप भी 100 दिन के प्रशिक्षण के बाद अपना व्यवसाय शुरू कर सकते हैं, सरकार हरसंभव सहायता देगी।”
खाद्य प्रसंस्करण की आवश्यकता और महत्व को रेखांकित करते हुए श्री सिंह ने बताया कि हाल ही में टमाटर की कीमतों में आई भारी गिरावट से किसानों को नुकसान हुआ। यदि टमाटर से सॉस, केचप, प्यूरी जैसे उत्पाद बनाए जाएं, तो यह न सिर्फ किसानों की आय बढ़ाएगा बल्कि उपभोक्ताओं को भी पूरे साल गुणवत्तायुक्त उत्पाद मिल सकेंगे।
प्रशिक्षण केंद्र प्रभारी श्री राजेश कुमार पिप्पल ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की और बताया कि प्रशिक्षण प्रतिभागियों को तकनीकी जानकारी के साथ-साथ बाजार से जोड़ने और खुद का उद्योग शुरू करने के लिए तैयार करेगा।
मुख्यालय लखनऊ से आए खाद्य प्रसंस्करण विशेषज्ञ श्री रघुवंश नारायण ने तकनीकी जानकारी साझा करते हुए कहा कि यह प्रशिक्षण युवाओं को न केवल आत्मनिर्भर बनाएगा बल्कि लखीमपुर जैसे जिलों को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान भी दिलाएगा।
कार्यक्रम का उद्देश्य स्वरोजगार को बढ़ावा देना, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाना तथा स्थानीय उत्पादों को ब्रांडिंग के जरिए विश्व पटल पर लाना है।
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