July 31, 2025

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क्या ऐतिहासिक कालपी के प्रवेश द्वारों का होगा पुनर्जन्म? नगर पालिका अध्यक्ष से जनता का सवाल

क्या ऐतिहासिक कालपी के प्रवेश द्वारों का होगा पुनर्जन्म? नगर पालिका अध्यक्ष से जनता का सवाल
✍️ संवाददाता – ज्ञानेन्द्र कुमार, जालौन

कालपी (जालौन)।
जालौन जनपद की ऐतिहासिक तहसील कालपी इन दिनों चर्चा में है – वजह है नगर के ऐतिहासिक प्रवेश द्वारों की बदहाल स्थिति और उनके जीर्णोद्धार को लेकर जनता की बढ़ती उम्मीदें और नाराज़गी।

कालपी नगर की पहचान मानी जाने वाली कर्नलगंज बाजार के चार प्रमुख और भव्य प्रवेश द्वार – उरई दरवाजा, कंदौरा दरवाजा, इलाहाबाद बैंक के पास स्थित दरवाजा, और एक बचा हुआ अंतिम दरवाजा – आज खंडहर में तब्दील हो चुके हैं। इनमें से तीन दरवाजे तो पूरी तरह से ध्वस्त हो चुके हैं, और जनता की नजर अब चौथे और आखिरी बचे दरवाजे पर टिकी है – क्या इसे बचाया जाएगा?

नगर की जनता लगातार नगर पालिका परिषद से मांग कर रही है कि इन दरवाजों को फिर से उनके मूल ऐतिहासिक स्वरूप में पुनर्जीवित किया जाए, ताकि कालपी की गरिमा और ऐतिहासिक पहचान सुरक्षित रह सके।

इतिहास की अनदेखी
पूर्व पालिकाध्यक्ष कमर अहमद के कार्यकाल में कई गेट बनवाए गए, और ऐतिहासिक “श्री दरवाजा” का जीर्णोद्धार भी किया गया। परंतु बाजार के ऐतिहासिक प्रवेश द्वार उपेक्षित ही रह गए। उनके बाद आए अध्यक्ष बैकुंठ देव के कार्यकाल में भी इस दिशा में कोई प्रगति नहीं हुई।

अब वर्तमान अध्यक्ष अरविंद सिंह यादव, जो एक स्वतंत्र प्रत्याशी के रूप में निर्वाचित होकर आए हैं, उन्हें जनता ने “कालपी के विकास पुरुष” की उपाधि दी है। ऐसे में उनसे जनता की अपेक्षाएं भी अधिक हैं।

जनता का सवाल – आखिर कब तक इंतजार?
नगर पालिका के अभिलेखों में इन दरवाजों की भूमि आज भी दर्ज है, ऐसे में सवाल उठता है कि जब जगह मौजूद है, तो जीर्णोद्धार कार्य शुरू क्यों नहीं होता? आखिर कौन सी बाधा है जो कालपी की ऐतिहासिक धरोहरों को दोबारा जीवन देने से रोक रही है?

विधायक की चुप्पी भी सवालों में
स्थानीय विधायक विनोद चतुर्वेदी ने भी एक समय तीन दरवाजों के जीर्णोद्धार की बात कही थी, लेकिन आज तक कोई ठोस पहल नहीं की गई। जनता अब 25 निर्वाचित सभासदों से भी अपील कर रही है कि वे सिर्फ नाली, सड़क, सफाई और रोशनी के सीमित दायरे से बाहर निकलकर नगर की संस्कृति और धरोहरों की ओर भी ध्यान दें।


कालपी के ऐतिहासिक प्रवेश द्वार सिर्फ ईंट और पत्थर नहीं, हमारी पहचान, इतिहास और गौरव के प्रतीक हैं। जनता अब इंतजार नहीं करना चाहती – वह जवाब चाहती है, कार्रवाई चाहती है

क्या नगर पालिका अध्यक्ष और जनप्रतिनिधि इस पुकार को सुनेंगे?
यह वक्त बताएगा।

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