घाघरा मंदिर: बिना जोड़ वाली पत्थरों से बनी रहस्यमयी संरचना
एमसीबी, 07 मार्च 2025 | छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले में स्थित घाघरा मंदिर अपनी अद्भुत स्थापत्य कला और रहस्यमयी निर्माण शैली के लिए प्रसिद्ध है। यह प्राचीन मंदिर जिले के मुख्यालय मनेंद्रगढ़ से लगभग 130 किलोमीटर दूर जनकपुर के पास घाघरा गांव में स्थित है। मंदिर की सबसे खास बात यह है कि इसका निर्माण बिना किसी जोड़ने वाली सामग्री के, केवल पत्थरों को संतुलित करके किया गया है।
बिना जोड़ वाली पत्थरों की संरचना, स्थापत्य कला का अद्भुत उदाहरण
घाघरा मंदिर की सबसे अनोखी विशेषता यह है कि इसके निर्माण में किसी प्रकार की गारा-मिट्टी, चूना या किसी अन्य पदार्थ का उपयोग नहीं किया गया। केवल पत्थरों को संतुलन में रखकर इस भव्य मंदिर को खड़ा किया गया है, जो प्राचीन भारतीय इंजीनियरिंग और स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करता है।
इतना ही नहीं, यह मंदिर झुकी हुई संरचना के कारण और भी रहस्यमयी बन जाता है। इतिहासकारों का मानना है कि यह झुकाव किसी भूगर्भीय हलचल या भूकंप के कारण हुआ होगा। हालांकि, सैकड़ों वर्षों के बाद भी यह मंदिर मजबूती से खड़ा है, जिससे इसकी निर्माण तकनीक की श्रेष्ठता साबित होती है।
मंदिर के निर्माण काल को लेकर मतभेद
घाघरा मंदिर के निर्माण काल को लेकर इतिहासकारों में भिन्न-भिन्न मत हैं। कुछ इसे 10वीं शताब्दी का मानते हैं, जबकि कुछ इसे बौद्ध काल से जोड़ते हैं। वहीं, स्थानीय लोगों का विश्वास है कि यह एक प्राचीन शिव मंदिर है, जहां विशेष अवसरों पर पूजा-अर्चना की जाती है।
मंदिर के भीतर किसी मूर्ति का न होना भी इसे और रहस्यमयी बना देता है। स्थानीय जनश्रुतियों के अनुसार, यह मंदिर उस समय की अद्भुत वास्तुकला और तकनीकी कौशल का प्रमाण है। कई शोधकर्ता इसे बौद्ध काल की किसी विशेष शैली में निर्मित मानते हैं, जो समय के साथ हिंदू परंपरा में समाहित हो गया।
धार्मिक और ऐतिहासिक पर्यटन का केंद्र
घाघरा मंदिर केवल धार्मिक आस्था का केंद्र नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों में भी गिना जाता है। इस रहस्यमयी मंदिर को देखने के लिए दूर-दूर से पर्यटक और शोधकर्ता आते हैं। इसकी अनूठी निर्माण शैली और झुकी हुई संरचना पुरातत्वविदों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बनी हुई है।
यह मंदिर भारतीय स्थापत्य कला की उस उन्नत तकनीक का प्रतीक है, जो बिना किसी आधुनिक संसाधनों के भी इतनी मजबूत और संतुलित संरचनाएं बनाने में सक्षम थी। यदि इस मंदिर को उचित पहचान मिले, तो यह क्षेत्र ऐतिहासिक और धार्मिक पर्यटन का प्रमुख केंद्र बन सकता है।
कैसे पहुंचे घाघरा मंदिर?
घाघरा मंदिर जाने के लिए सबसे नजदीकी प्रमुख कस्बा जनकपुर है, जहां से घाघरा गांव तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। मनेंद्रगढ़ से मंदिर तक की दूरी लगभग 130 किलोमीटर है, जिसे सड़क मार्ग से तय किया जा सकता है। यात्रा के दौरान छत्तीसगढ़ के प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद भी लिया जा सकता है।
निष्कर्ष
छत्तीसगढ़ का घाघरा मंदिर अपने रहस्यमयी निर्माण, ऐतिहासिक महत्त्व और स्थापत्य कला की बेजोड़ मिसाल के रूप में जाना जाता है। बिना किसी जोड़ वाली पत्थरों से बनी यह संरचना आज भी मजबूती से खड़ी है और इतिहास, धर्म और विज्ञान, तीनों के लिए शोध का विषय बनी हुई है। अगर इसे पर्यटन के लिहाज से सही प्रचार-प्रसार मिले, तो यह छत्तीसगढ़ के ऐतिहासिक धरोहरों में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त कर सकता है।
स्टेट हेड
छत्तीसगढ़ चिरमिरी
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